संदेश

Cricket लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सूरदास का साहित्य एवं जीवन परिचय

 सूरदास(1478-1583) 1. सूरदास भक्ति काल के कृष्ण काव्य परंपरा के प्रमुख के कवि थे 2. चौरासी वैष्णव की वार्ता अनुसार सूरदास का जन्म दिल्ली के निकट सीही गांव में हुआ। 3. सूरदास के गुरु का नाम वल्लभाचार्य था। 4. सूरदास जन्मांध थे या बाद में अंधे हुए इस विषय पर मतेैक्य नहीं है। 5.(सूरदास के निधन पर )गोसाई विट्ठल दास ने कहा- पुष्टीमार्ग को जहाज जात है सो जाको कछु लेनौ होय सो लेउ। 6. सूरदास की प्रमुख तीन रचनाएं हैं- सूरसागर,सूर- सारावली और साहित्य लहरी। 7.साहित्य लहरी के एक पद के अनुसार सूरदास ने खुद को चंद बरदई के वंशज माने हैं। 8. सूरदास पहले विनय और दास्य भाव के पद लिखा करते थे किंतु वल्लभाचार्य की भेंट के बाद उन्होंने वात्सल्य और श्रृंगार के पद लिखे। 9. साहित्य लहरी में सूरदास के दृष्ट कूट के पद संकलित हैं। 10. सूरदास ब्रजभाषा के पहले सशक्त कवि माने जाते हैं। 11.सूरदास के श्रृंगारी व दृष्टकूट  पदों की रचना विद्यापति की पद्धति के आधार पर हुई मानी जाती हैं। 12. सूरदास वात्सल्य और श्रंगार के क्षेत्र में उच्चतम माने जाते हैं इसलिए उनको वात्सल्य और श्रंगार रस का सम्राट कहा जाता है। 13...