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रस परिभाषा व भेद उदाहरण सहित

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  रस क्या है   रस का सामान्य अर्थ है - आनंद मानव मानव प्राणी अपने जीवन में आनंद प्राप्त करना चाहता है,आनंद प्राप्ति करना ही उनका उद्देश्य है इसी प्रकार काव्य में भी आनंद होता है काव्य का रसास्वादन करते समय जो आनंद की अनुभूति होती है या हमारे चित्र में एक आनंद की प्राप्ति होती है उसी ही रस कहते हैं। रस की परिभाषा:- काव्य को पढ़ते समय ,सुनते समय हमारे चित्र में जो आनंद की अनुभूति होती हैं उसे ही रस कहते हैं। रस के भेद या प्रकार:- रस के मूल रूप से नौ(9) भेद माने गए हैं दो भेद बाद में जोड़े गए। 1 श्रंगार ,2.हास्य, 3.करुण,4.वीर,5.रौद्र  6.भयानक,7.वीभत्स,8अद्भुत,9शान्त, बाद मे जोड़े गये- वत्सल,भक्ति 1 श्रृंगार-रस:- श्रृंगार रस का विषय प्रेम होता है पुरुष के प्रति स्त्री के हृदय में या स्त्री के प्रति पुरुष के हृदय में जो प्रेम जागृत होता है उसी की व्यंजना श्रृंगार काव्य में होती हैं जैसे कृष्ण और राधा का प्रेम श्रृंगार के दो भेद होते हैं  संयोग वियोग

अलंकार- परिभाषा एवं भेद

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अलंकार का अर्थ अलंकार शब्द का वाक्य अर्थ है आभूषण अर्थ अर्थ आभूषण का अर्थ है शरीर को शोभा बढ़ाने वाले सामान्य बोलचाल की भाषा में कहे तो जिस प्रकार एक महिला की शोभा आभूषण से बढ़ती हैं ठीक उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार के माध्यम से बढ़ती है इसलिए कहा जाता है कि अलंकार काव्य के लिए एक आभूषण है अलंकार की परिभाषा काव्य की शोभा बढ़ाने वाले कारक को अलंकार कहते हैं अलंकार के प्रमुख लक्षण काव्य में शोभा लाने वाले या उसे सौंदर्य प्रदान करने वाले तत्व अलंकार कहलाते हैं काव्य को अधिक आकर्षक और प्रभावशाली बनाने वाले साधनों को अलंकार कहते हैं कथनी या अभिव्यक्ति को अधिक विशिष्ट बनाने वाले साधनों को अलंकार कहते हैं अभिव्यक्ति में ऐसा धन लाने वाले प्रकारों को अलंकार कहते हैं कथन में विचित्र लाने वाले विधान को अलंकार कहते हैं काव्य में अलंकार का स्थान अलंकार के प्रयोग से काव्य में आकर्षण और चलता आती है अलंकार के प्रयोग से काव्य अधिक प्रभाव को और स्पष्ट होता है अलंकार के प्रयोग से अभिव्यक्ति में अधिक स्पष्ट था और सुबोध आती है अलंकार शब्द की शक्ति को सामर्थ्य प्रदान करता है अलंकार उनके अर...

काव्य के अंग या तत्व

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काव्य के प्रमुख - दो पक्ष माने गए हैं भाव पक्ष और कला पक्ष अथवा वर्ण्यवस्तु और शिल्प वस्तु भाव पक्ष या वर्ण वस्तु के अंतर्गत रस आता है उसी के साथ गुण दोष आदि की भी चर्चा होती है और कला पक्ष या शिल्प वस्तु के अंतर्गत अलंकार,शब्द-शक्ति छन्द,रीति आदि आते हैं ।

काव्य के रूप

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काव्य के प्रमुख रूप से दो भेद होते हैं 1. दृश्य काव्य 2. श्रव्य काव्य दृश्य काव्य में नेत्रों से देखे जाने वाले नाटक आदि को रखा जा सकता है और श्रव्य काव्य में सुनने सुनाने योग्य काव्य को यथा कहानी कविता आदि रखा जा सकता है दृश्य काव्य में नाटक आदि होते है श्रव्य काव्य में पहले प्रमुख दो भेद पद्य और गद्य किए गए पद्य के पुन: प्रबंध और मुक्तक के दो भेद किए गए प्रबंध में क्रमबद्ध पद्य रचना आती है और मुक्तक में सिलसिले की आवश्यकता न होकर उसका प्रत्येक छन्द एक दूसरे से मुक्त रहता है। प्रबंध काव्य के आकार की दृष्टि से दो भेद महाकाव्य और खंडकाव्य किए जाते हैं। महाकाव्य में समग्र जीवन का चित्रण करने का प्रयास रहा है जैसे राम चरित्र मानस महाकाव्य है इसलिए तुलसीदास जी ने श्री राम के बाल्यकाल से लेकर उनके जीवन के चरमोत्कर्ष तक का समग्र जीवन अंकित करने का प्रयास किया है खंडकाव्य में जीवन के एक खण्ड या इसके हिस्से मात्र का चित्रण होता है पंचवटी एक खंड काव्य का उदाहरण है जिसमें मैथिलीशरण गुप्त ने भगवान श्री राम के पंचवटी संबंधी जीवन के भाग का चित्रण किया है इसी प्रकार मुक्तक के दो भेद माने गए है...