हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण बिंदु

 हिन्दी साहित्य 👉हिन्दी साहित्य का आदि काल (आदिकाल) 1050 ई. से 1375 ई. तक माना जाता है।  👉भक्ति काल 1376 से 1700 इसमें भक्ति की प्रधानता है। 👉रीति काल (1700–1900 ई.) में श्रृंगार और अलंकार प्रधान रचनाएँ अधिक रची गईं। 👉आधुनिक काल (1900 ई. से वर्तमान) में चार प्रमुख धाराएँग मानी जाती हैं–भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग, छायावाद, प्रगतिवाद। 👉छायावाद के चार स्तंभ कवि – जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा। 👉प्रगतिवाद की शुरुआत 1936 ई. में लखनऊ से हुई। 👉नई कविता आंदोलन 1943 के आसपास उभरा, जिसमें प्रयोगवाद और अज्ञेय की भूमिका महत्वपूर्ण रही। 👉हिन्दी नाटक के क्षेत्र में भारतेन्दु हरिश्चंद्र को "आधुनिक हिन्दी नाटक का जनक" कहा जाता है। 👉आलोचना के क्षेत्र में रामचंद्र शुक्ल और हजारीप्रसाद द्विवेदी के योगदान को विशेष महत्व दिया जाता है। 👉महाकाव्य परंपरा में तुलसीदास का रामचरितमानस और सूरदास का सूरसागर अमर कृतियाँ हैं। 📕📕📕📕📕📕📕📕📕🌹 👉माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) (1889–1968) 👉सिद्धांत/अवधारणा माखनलाल चतुर्वेदी हिं...

मीरां का जीवन परिचय



मीरां(1498-1546ई.)

01. मीरा का जन्म सन 1498.ई कुड़की गांव (मारवाड़ रियासत)राजस्थान में हुआ था।

2. संत रैदास मीरां के गुरु माने जाते हैं।

3. मीरा सगुण धारा की महत्वपूर्ण भक्त कवियत्री थी।

4 मीरा का विवाह सांगा के जेष्ठ पुत्र भोजराज के साथ हुआ।

5. मीरा का अंतिम समय द्वारका में बीता और वही रणछोड़ दास जी की मूर्ति में समाहित हो गई।

6.मीरा की भक्ति माधुर्योपासना के रस में समाहित हैं।

7. मीरा भक्ति काल में स्त्री मुक्ति की आवाज बनकर उभरी।

8. मीराबाई की पदावली का संपादन आचार्य परशुराम चतुर्वेदी ने किया।

9. मीरा मुक्तावली का संपादन नरोत्तम दास स्वामी ने किया।

10. सुमित्रानंदन पंत ने मीरा के संबंध में कहा है कि-भक्ति के तपोवन की शकुंतला तथा राजस्थान के मरुस्थल की मंदाकिनी हैं।

11. मीरां के बचपन का नाम पेमल था।

12. मीरां की कविता का प्रमुख रस विप्रलंभ श्रृंगार हैं।

13. बसो मेरे नैनन में नंदलाल-पंक्ती मीराबाई की हैं।

🖋🖋🌹🌿शंकरनाथ,राजस्थान🌿🌹


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