काव्य के रूप

काव्य के प्रमुख रूप से दो भेद होते हैं
1. दृश्य काव्य 2. श्रव्य काव्य
दृश्य काव्य में नेत्रों से देखे जाने वाले नाटक आदि को रखा जा सकता है और श्रव्य काव्य में सुनने सुनाने योग्य काव्य को यथा कहानी कविता आदि रखा जा सकता है
दृश्य काव्य में नाटक आदि होते है
श्रव्य काव्य में पहले प्रमुख दो भेद पद्य और गद्य किए गए
पद्य के पुन: प्रबंध और मुक्तक के दो भेद किए गए प्रबंध में क्रमबद्ध पद्य रचना आती है और मुक्तक में सिलसिले की आवश्यकता न होकर उसका प्रत्येक छन्द एक दूसरे से मुक्त रहता है। प्रबंध काव्य के आकार की दृष्टि से दो भेद महाकाव्य और खंडकाव्य किए जाते हैं। महाकाव्य में समग्र जीवन का चित्रण करने का प्रयास रहा है जैसे राम चरित्र मानस महाकाव्य है इसलिए तुलसीदास जी ने श्री राम के बाल्यकाल से लेकर उनके जीवन के चरमोत्कर्ष तक का समग्र जीवन अंकित करने का प्रयास किया है खंडकाव्य में जीवन के एक खण्ड या इसके हिस्से मात्र का चित्रण होता है पंचवटी एक खंड काव्य का उदाहरण है जिसमें मैथिलीशरण गुप्त ने भगवान श्री राम के पंचवटी संबंधी जीवन के भाग का चित्रण किया है इसी प्रकार मुक्तक के दो भेद माने गए हैं एक को पाठक मुक्तक और दूसरे को के मुक्तक काव्य पाठ मुक्तक पढ़ने सुनने मात्र के लिए होते हैं जैसे रहीम और बिहारी के दोहे गीतिकाव्य में संगीत आत्मकथा और काव्य का सार्थक संगम होता है कभी तुलसी आदि के पद इसी गीतिकाव्य का उदाहरण है।


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