हिन्दी साहित्य प्रश्नोत्तरी
... हिन्दी साहित्य का इतिहास(आदिकाल)..
👉आदिकाल का नामकरण........
विभिन्न इतिहासकारों द्वारा आदिकाल का नामकरण निम्नानुसार किया गया-
🎉इतिहासकार का नाम - नामकरण🎉
👉हजारी प्रसाद द्विवेदी -आदिकाल
👉रामचंद्र शुक्ल -वीरगाथा काल
👉महावीर प्रसाद दिवेदी -बीजवपन काल
👉रामकुमार वर्मा- संधि काल और चारण काल
👉राहुल संकृत्यायन- सिद्ध-सामन्त काल
👉मिश्रबंधु- आरंभिक काल
गणपति चंद्र गुप्त -प्रारंभिक काल/ शुन्य काल
👉विश्वनाथ प्रसाद मिश्र- वीर काल
👉धीरेंद्र वर्मा -अपभ्रंस काल
👉चंद्रधर शर्मा गुलेरी -अपभ्रंस काल
👉ग्रियर्सन- चारण काल
👉पृथ्वीनाथ कमल 'कुलश्रेष्ठ'- अंधकार काल
👉रामशंकर शुक्ल- जयकाव्य काल
👉रामखिलावन पाण्डेय- संक्रमण काल
👉हरिश्चंद्र वर्मा- संक्रमण काल
👉मोहन अवस्थी- आधार काल
👉शम्भुनाथ सिंह- प्राचिन काल
👉वासुदेव सिंह- उद्भव काल
👉रामप्रसाद मिश्र- संक्रांति काल
👉शैलेष जैदी - आविर्भाव काल
👉हरीश- उत्तर अपभ्रस काल
👉बच्चन सिंह- अपभ्रंस काल: जातिय साहित्य का उदय
👉श्यामसुंदर दास- वीरकाल/अपभ्रंस का
#हिन्दी_का_सर्वप्रथम_कवि
$विभिन्न इतिहासकारों के अनुसार हिंदी का पहला कवि
👉राहुल सांकृत्यायन के अनुसार - सरहपा (769 ई.)
👉शिवसिंह सेंगर के अनुसार - पुष्प या पुण्ड (10 वीं शताब्दी)
👉गणपति चंद्र गुप्त के अनुसार - शालिभद्र सूरि (1184 ई.)
👉रामकुमार वर्मा के अनुसार - स्वयंभू (693 ई.)
👉हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार- अब्दुल रहमान (13 वीं शताब्दी)
👉बच्चन सिंह के अनुसार - विद्यापति (15 वीं शताब्दी)
👉चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' के अनुसार- राजा मुंज (993 ई.)
👉रामचंद्र शुक्ल के अनुसार- राजा मुंज व भोज (993 ई.)
🙏🏻 *नोट:- सर्व सामान्य रूप में राहुल सांकृत्यायन जी द्वारा स्वीकृत सिद्ध कवि ' सरहपा या सरहपाद' को ही हिंदी का सर्वप्रथम कभी माना जाता है|*
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रास (जैन) साहित्य की प्रमुख रचनाएं
👉 *रचना का नाम- रचनाकार का नाम*
👉भरतेश्वर बाहुबली रास- शालिभद्र सूरि (1184 ई.)
👉पांच पांडव चरित रास- शालिभद्र सूरि (14 वीं शताब्दी)
👉बुद्धि रास - शालिभद्र सूरि
👉चंदनबाला रास- कवि आसगु (1200 ई. जालौर)
👉जीव दया रास- कवि आसगु
👉स्थुलिभद्र रास- जिन धर्म सूरि (1209 ई.)
👉रेवंतगिरि रास- विजय सेन सूरि (1231 ई.)
👉नेमिनाथ रास- सुमित गुणि (1231 ई.)
👉गौतम स्वामी रास- उदयवंत/विजयभद्र
👉उपदेश रसायन रास- जिन दत्त सूरि
👉कच्छुलि रास- प्रज्ञा तिलक
जिन पद्म सूरि रास- सारमूर्ति
👉करकंड चरित रास- कनकामर मुनि
👉आबूरास-पल्हण
👉गय सुकुमाल रास- देल्हण/देवेन्द्र सूरि
👉समरा रास-अम्बदेव सूरि
👉अमरारास- अभय तिलकमणि
👉भरतेश्वर बाहुबलिघोर रास- वज्रसेन सूरि
👉मुंजरास- अज्ञात
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👉नेमिनाथ चउपई- विनयचन्द्र सूरि(1200 ई.)
👉नेमिनाथ चरिउ - हरिभद्र सूरि (1159 ई.)
👉नेमिनाथ फागु - राजशेखर सूरि (1348 ई.)
👉कान्हड़-दे-प्रबंध- पद्मनाभ
👉हरिचंद पुराण -जाखू मणियार (1396 ई.)
👉पास चरिउ(पार्श्व पुराण)- पदम कीर्ति
👉सुंदसण चरिउ (सुदर्शन पुराण)- नयनंदी
👉प्रबंध चिंतामणि - जैनाचार्य मेरुतुंग
👉कुमारपाल प्रतिबोध- सोमप्रभ सूरि (1241ई.)
👉श्रावकाचार - देवसेन (933 ई.)
👉दब्ब-सहाव-पयास- देवसेन
👉लघुनयचक्र- देवसेन
👉दर्शनसार- देवसेन
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रासो साहित्य की प्रमुख रचनाऍ
पृथ्वीराज रासो- चंदबरदाई
👉बीसलदेव रासो -नरपति नाल्ह
👉परमाल रासो -जगनिक
👉हम्मीर रासो - शार्ड.ग्धर
👉खुमान रासो- दलपति विजय
👉विजयपाल रासो -नल्लसिंह भाट
👉बुद्धिरासो- जल्हण
👉मुंज रासो - अज्ञात
👉रासो नाम की अन्य रचनाएँ-
कलियुग रासो- रसिक गोविंद
👉कायम खाँ रासो- न्यामत खाँ जान कवि
👉राम रासो- समय सुंदर
👉राणा रासो- दयाराम (दयाल कवि)
👉रतनरासो- कुम्भकर्ण
👉कुमारपाल रासो- देवप्रभ
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रासो साहित्य की प्रमुख विशेषताएं
👉 यह साहित्य मुख्यतः चारण कवियों द्वारा रचा गया
👉 इन रचनाओं में चारण कवियों द्वारा अपने आश्रयदाता के शौर्य एवं ऐश्वर्य का अतिश्योक्ति पूर्ण वर्णन किया गया है
👉 इन रचनाओं में ऐतिहासिकता के साथ-साथ कवियों द्वारा अपनी कल्पना का समावेश भी किया गया है
👉इन रचनाओं में युद्ध है प्रेम का वर्णन अधिक किया गया है
👉 इन रचनाओं में वीर व श्रंगार रस की प्रधानता है
👉इन रचनाओं में डिंगल और पिंगल शैली का प्रयोग हुआ है
👉 इनमें विविध प्रकार की भाषाएं एवं अनेक प्रकार के छंदों का प्रयोग किया गया है
👉इन रचनाओं में चारण कवियों की संकुचित मानसिकता का प्रयोग देखने को मिलता है
👉रासो साहित्य की अधिकांश रचनाएं संदिग्ध एवं अर्ध प्रमाणिक मानी जाती है|
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SHANKAR NATH
HINDI SAHITY
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