आदिकालीन साहित्य
*रास (जैन) साहित्य की प्रमुख रचनाएं*-
👉 *रचना का नाम- रचनाकार का नाम*
👉भरतेश्वर बाहुबली रास- शालिभद्र सूरि (1184 ई.)
👉पांच पांडव चरित रास- शालिभद्र सूरि (14 वीं शताब्दी)
👉बुद्धि रास - शालिभद्र सूरि
👉चंदनबाला रास- कवि आसगु (1200 ई. जालौर)
👉जीव दया रास- कवि आसगु
👉स्थुलिभद्र रास- जिन धर्म सूरि (1209 ई.)
👉रेवंतगिरि रास- विजय सेन सूरि (1231 ई.)
👉नेमिनाथ रास- सुमित गुणि (1231 ई.)
👉गौतम स्वामी रास- उदयवंत/विजयभद्र
👉उपदेश रसायन रास- जिन दत्त सूरि
👉कच्छुलि रास- प्रज्ञा तिलक
जिन पद्म सूरि रास- सारमूर्ति
👉करकंड चरित रास- कनकामर मुनि
👉आबूरास-पल्हण
👉गय सुकुमाल रास- देल्हण/देवेन्द्र सूरि
👉समरा रास-अम्बदेव सूरि
👉अमरारास- अभय तिलकमणि
👉भरतेश्वर बाहुबलिघोर रास- वज्रसेन सूरि
👉मुंजरास- अज्ञात
👉नेमिनाथ चउपई- विनयचन्द्र सूरि(1200 ई.)
👉नेमिनाथ चरिउ - हरिभद्र सूरि (1159 ई.)
👉नेमिनाथ फागु - राजशेखर सूरि (1348 ई.)
👉कान्हड़-दे-प्रबंध- पद्मनाभ
👉हरिचंद पुराण -जाखू मणियार (1396 ई.)
👉पास चरिउ(पार्श्व पुराण)- पदम कीर्ति
👉सुंदसण चरिउ (सुदर्शन पुराण)- नयनंदी
👉प्रबंध चिंतामणि - जैनाचार्य मेरुतुंग
👉कुमारपाल प्रतिबोध- सोमप्रभ सूरि (1241ई.)
👉श्रावकाचार - देवसेन (933 ई.)
👉दब्ब-सहाव-पयास- देवसेन
👉लघुनयचक्र- देवसेन
👉दर्शनसार- देवसेन
✍💐 *रासो साहित्य की प्रमुख रचनाऍ*💐✍
पृथ्वीराज रासो- चंदबरदाई
👉बीसलदेव रासो -नरपति नाल्ह
👉परमाल रासो -जगनिक
👉हम्मीर रासो - शार्ड.ग्धर
👉खुमान रासो- दलपति विजय
👉विजयपाल रासो -नल्लसिंह भाट
👉बुद्धिरासो- जल्हण
👉मुंज रासो - अज्ञात
👉रासो नाम की अन्य रचनाएँ-
कलियुग रासो- रसिक गोविंद
👉कायम खाँ रासो- न्यामत खाँ जान कवि
👉राम रासो- समय सुंदर
👉राणा रासो- दयाराम (दयाल कवि)
👉रतनरासो- कुम्भकर्ण
👉कुमारपाल रासो- देवप्रभ
✍💐 *रासो साहित्य की प्रमुख विशेषताएं*-💐✍
👉 यह साहित्य मुख्यतः चारण कवियों द्वारा रचा गया
👉 इन रचनाओं में चारण कवियों द्वारा अपने आश्रयदाता के शौर्य एवं ऐश्वर्य का अतिश्योक्ति पूर्ण वर्णन किया गया है
👉 इन रचनाओं में ऐतिहासिकता के साथ-साथ कवियों द्वारा अपनी कल्पना का समावेश भी किया गया है
👉इन रचनाओं में युद्ध है प्रेम का वर्णन अधिक किया गया है
👉 इन रचनाओं में वीर व श्रंगार रस की प्रधानता है
👉इन रचनाओं में डिंगल और पिंगल शैली का प्रयोग हुआ है
👉 इनमें विविध प्रकार की भाषाएं एवं अनेक प्रकार के छंदों का प्रयोग किया गया है
👉इन रचनाओं में चारण कवियों की संकुचित मानसिकता का प्रयोग देखने को मिलता है
👉रासो साहित्य की अधिकांश रचनाएं संदिग्ध एवं अर्ध प्रमाणिक मानी जाती है|
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