सूरदास साहित्य एवं जीवन परिचय के प्रश्न उत्तर
सूरदास जी पर 50 व्याख्याता स्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रारंभिक जीवन और परिचय
प्रश्न: सूरदास जी का जन्म कब और कहाँ हुआ माना जाता है?
उत्तर: इनका जन्म 1478 ई. के आसपास रुनकता या सीही (हाथरस या आगरा, उत्तर प्रदेश) में माना जाता है।
प्रश्न: सूरदास जी के जन्म के संबंध में कौन-सा प्रसिद्ध विवाद है?
उत्तर: उनका जन्म स्थान और जन्म तिथि को लेकर विद्वानों में मतभेद है।
प्रश्न: सूरदास के पिता का नाम क्या था?
उत्तर: रामदास शर्मा।
प्रश्न: सूरदास किस भक्ति मार्ग से जुड़े हुए थे?
उत्तर: पुष्टिमार्ग (शुद्धाद्वैत)।
प्रश्न: सूरदास को किस संत ने दीक्षा दी थी?
उत्तर: वल्लभाचार्य ने।
साहित्यिक योगदान
प्रश्न: सूरदास जी की मुख्य काव्यकृति कौन-सी है?
उत्तर: सूरसागर।
प्रश्न: ‘सूरसागर’ में कौन-कौन से प्रसंग प्रमुखता से वर्णित हैं?
उत्तर: बाल-कृष्ण लीला, रास लीला, वत्स-लीला, उद्धव-गोपी संवाद आदि।
प्रश्न: सूरसागर में कुल कितने पद हैं?
उत्तर: लगभग 16,000 पद (हालांकि सभी पद प्रमाणिक नहीं माने जाते)।
प्रश्न: सूरदास जी की रचनाओं की प्रमुख विशेषता क्या है?
उत्तर: वात्सल्य रस, कृष्ण भक्ति, सहज भाषा और भावात्मकता।
प्रश्न: सूरदास जी द्वारा रचित अन्य प्रमुख ग्रंथ कौन से हैं?
उत्तर: साहित्य लहरी, सूरसारावली, नल-दमयंती।
भाषा और शैली
प्रश्न: सूरदास जी की काव्य-भाषा क्या थी?
उत्तर: ब्रजभाषा।
प्रश्न: सूरदास की कविता में कौन-कौन सी रसों की प्रधानता है?
उत्तर: वात्सल्य रस, शृंगार रस एवं भक्तिरस।
प्रश्न: सूरदास के काव्य की शैली किस प्रकार की है?
उत्तर: पद्यात्मक, भावात्मक, वर्णनात्मक एवं वर्णन की सूक्ष्मता।
प्रश्न: सूरदास ने अपने पदों में प्रमुखतः कौन से छंदों का प्रयोग किया है?
उत्तर: पद, सवैया, कवित्त।
प्रश्न: सूरदास की रचनाओं में कौन-सा काव्यगुण विशेष रूप से मिलता है?
उत्तर: भावगम्यता एवं भावप्रवणता।
भाव और दर्शन
प्रश्न: सूरदास किस दर्शन से प्रभावित थे?
उत्तर: शुद्धाद्वैत दर्शन (वल्लभाचार्य का दर्शन)।
प्रश्न: सूरदास जी के काव्य में भक्ति का कौन-सा स्वरूप अधिक मिलता है?
उत्तर: वात्सल्य भक्ति।
प्रश्न: सूरदास की भक्ति किन-किन भावों में व्यक्त हुई है?
उत्तर: सखा भाव, वात्सल्य भाव, माधुर्य भाव आदि।
प्रश्न: सूरदास की दृष्टि में कृष्ण का स्वरूप कैसा है?
उत्तर: सर्वगुण संपन्न, लीलामय, वात्सल्यप्रिय।
प्रश्न: ‘उद्धव-गोपी संवाद’ सूरदास के किस ग्रंथ में मिलता है?
उत्तर: सूरसागर में।
भक्ति आंदोलन में भूमिका
प्रश्न: सूरदास जी का संबंध भक्तिकाल की किस धारा से है?
उत्तर: सगुण भक्ति शाखा, विशेषतः कृष्ण भक्ति।
प्रश्न: भक्तिकाल में सूरदास की क्या भूमिका रही?
उत्तर: उन्होंने कृष्ण भक्ति को लोकजीवन से जोड़ा, ब्रजभाषा को साहित्यिक प्रतिष्ठा दिलाई।
प्रश्न: सूरदास किस सदी के कवि हैं?
उत्तर: 15वीं-16वीं सदी।
प्रश्न: सूरदास जी को ‘आँखों देखा हाल’ बताने वाला कवि क्यों कहा गया है?
उत्तर: उनकी दृष्टिहीनता के बावजूद उनके वर्णन इतने जीवंत हैं कि मानो उन्होंने स्वयं देखा हो।
प्रश्न: सूरदास के काव्य में लोकजीवन का क्या स्थान है?
उत्तर: उन्होंने ग्रामीण जीवन, नारी मनोविज्ञान, एवं ब्रज संस्कृति का सुंदर चित्रण किया है।
प्रभाव और आलोचना
प्रश्न: सूरदास को ‘वात्सल्य रस का सम्राट’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर: क्योंकि उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का अत्यंत मार्मिक वर्णन किया है।
प्रश्न: सूरदास की कविता पर वल्लभ सम्प्रदाय का क्या प्रभाव है?
उत्तर: शुद्धाद्वैत भक्ति, रागानुगा भक्ति और लीला-विवरण।
प्रश्न: सूरदास की भाषा का हिंदी साहित्य में क्या स्थान है?
उत्तर: ब्रजभाषा को साहित्यिक गौरव प्रदान करने में सूरदास का योगदान सर्वोपरि है।
प्रश्न: सूरदास पर कौन-कौन से समकालीन कवियों का प्रभाव था?
उत्तर: कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं, परन्तु चैतन्य महाप्रभु व वल्लभाचार्य जैसे संतों से प्रेरणा मिली।
प्रश्न: सूरदास को ‘कविकुल तिलक’ की उपाधि क्यों दी जाती है?
उत्तर: उनकी अप्रतिम काव्यप्रतिभा एवं भक्ति भावना के कारण।
प्रसिद्ध पद एवं उनकी व्याख्या
प्रश्न: “मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायो” पद का भावार्थ क्या है?
उत्तर: इसमें बालकृष्ण की नटखट लीला और दाऊ बलराम से शिकायत भाव दर्शाया गया है।
प्रश्न: “उधौ मन न भये दस बीस” पद का आशय क्या है?
उत्तर: गोपियों का प्रेम एकरस है; वे कृष्ण को नहीं भूल सकतीं।
प्रश्न: सूरदास के किस पद में मातृ स्नेह का श्रेष्ठ चित्रण हुआ है?
उत्तर: “मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायो” में।
प्रश्न: सूरदास की कविता में गोपियों की मनोदशा का कैसा चित्रण मिलता है?
उत्तर: अत्यंत सूक्ष्म, भावुक एवं प्रेम-प्रधान।
प्रश्न: सूरदास के पदों में किस लोकभाषा की सजीवता मिलती है?
उत्तर: ब्रजभाषा की।
साहित्यिक दृष्टिकोण से
प्रश्न: सूरदास की कविता किस काव्यधारा में आती है?
उत्तर: भक्तिकाव्य।
प्रश्न: सूरदास की काव्य-संवेदना में लोक-जीवन का क्या योगदान है?
उत्तर: उन्होंने ग्रामीण परिवेश, जन-संवेदनाओं को कृष्ण लीला के माध्यम से जोड़ा।
प्रश्न: सूरदास के पदों में कौन-कौन से प्रतीक विशेष हैं?
उत्तर: यमुना, माखन, बांसुरी, गोपियाँ, वृंदावन।
प्रश्न: सूरदास ने गोपियों के माध्यम से क्या सन्देश दिया है?
उत्तर: एकनिष्ठ प्रेम, आत्मार्पण और निष्काम भक्ति।
प्रश्न: सूरदास की कविता में ‘संगीतात्मकता’ का क्या स्थान है?
उत्तर: उनकी कविता गेय और रागप्रधान है।
आधुनिक दृष्टिकोण
प्रश्न: आधुनिक आलोचकों ने सूरदास को किस दृष्टि से देखा है?
उत्तर: मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से; उनके पदों में नारी मनोविज्ञान का सूक्ष्म चित्रण है।
प्रश्न: सूरदास को दृष्टिहीन होने पर भी ‘अंतर्दृष्टि’ का स्वामी क्यों कहा जाता है?
उत्तर: क्योंकि उनकी कल्पना शक्ति अत्यंत प्रखर थी।
प्रश्न: सूरदास की कविता में मानवीकरण (personification) का उदाहरण दीजिए।
उत्तर: कृष्ण की लीलाओं में गोपियों के भावों का मानवीकरण मिलता है।
प्रश्न: सूरदास ने ‘मुक्ति’ की अपेक्षा किसे प्राथमिकता दी है?
उत्तर: भक्ति को।
प्रश्न: सूरदास की कविता में किस वर्ग के भाव अधिक दिखाई देते हैं – लौकिक या पारलौकिक?
उत्तर: लौकिक भावों के माध्यम से पारलौकिक प्रेम की अभिव्यक्ति।
सामान्य और परीक्षोपयोगी तथ्य
प्रश्न: सूरदास किस युग के प्रमुख कवि माने जाते हैं?
उत्तर: भक्तिकाल।
प्रश्न: सूरदास जी की मृत्यु कब हुई मानी जाती है?
उत्तर: लगभग 1583 ईस्वी में।
प्रश्न: सूरदास किस संप्रदाय से संबंधित थे?
उत्तर: वल्लभ संप्रदाय।
प्रश्न: सूरदास की रचनाएं किस भावना से प्रेरित हैं?
उत्तर: कृष्ण भक्ति।
प्रश्न: सूरदास को ‘अष्टछाप’ में कौन-से स्थान पर रखा गया है?
उत्तर: प्रमुखतम स्थान (वल्लभाचार्य द्वारा नियुक्त 8 कवियों में सर्वप्रथम)।
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