आदिकाल

हिन्दी साहित्य का इतिहास(आदिकाल) हिन्दी साहित्य का इतिहास           आदिकाल आदिकाल का नामकरण विभिन्न इतिहासकारों द्वारा आदिकाल का नामकरण निम्नानुसार किया गया- इतिहासकार का नाम – नामकरण हजारी प्रसाद द्विवेदी-आदिकाल रामचंद्र शुक्ल-वीरगाथा काल महावीर प्रसाद दिवेदी-बीजवपन काल रामकुमार वर्मा-संधि काल और चारण काल राहुल संकृत्यायन-सिद्ध-सामन्त काल मिश्रबंधु-आरंभिक काल गणपति चंद्र गुप्त-प्रारंभिक काल/ शुन्य काल विश्वनाथ प्रसाद मिश्र-वीर काल धीरेंद्र वर्मा-अपभ्रंस काल चंद्रधर शर्मा गुलेरी-अपभ्रंस काल ग्रियर्सन-चारण काल पृथ्वीनाथ कमल ‘कुलश्रेष्ठ’-अंधकार काल रामशंकर शुक्ल-जयकाव्य काल रामखिलावन पाण्डेय-संक्रमण काल हरिश्चंद्र वर्मा-संक्रमण काल मोहन अवस्थी-आधार काल शम्भुनाथ सिंह-प्राचिन काल वासुदेव सिंह-उद्भव काल रामप्रसाद मिश्र-संक्रांति काल शैलेष जैदी–आविर्भाव काल हरीश-उत्तर अपभ्रस काल बच्चन सिंह- अपभ्रंस काल: जातिय साहित्य का उदय श्यामसुंदर दास- वीरकाल/अपभ्रंस का .. हिन्दी का सर्वप्रथम कवि... विभिन्न इतिहासकारों के अनुसार हिंदी का पहला कवि- 👉राहुल सांकृत्यायन के अनुसार – स...

हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण बिंदु

 हिन्दी साहित्य

👉हिन्दी साहित्य का आदि काल (आदिकाल) 1050 ई. से 1375 ई. तक माना जाता है। 

👉भक्ति काल 1376 से 1700 इसमें भक्ति की प्रधानता है।


👉रीति काल (1700–1900 ई.) में श्रृंगार और अलंकार प्रधान रचनाएँ अधिक रची गईं।


👉आधुनिक काल (1900 ई. से वर्तमान) में चार प्रमुख धाराएँग मानी जाती हैं–भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग, छायावाद, प्रगतिवाद।


👉छायावाद के चार स्तंभ कवि – जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा।


👉 प्रगतिवाद की शुरुआत 1936 ई. में लखनऊ से हुई।


👉नई कविता आंदोलन 1943 के आसपास उभरा, जिसमें प्रयोगवाद और अज्ञेय की भूमिका महत्वपूर्ण रही।


👉हिन्दी नाटक के क्षेत्र में भारतेन्दु हरिश्चंद्र को "आधुनिक हिन्दी नाटक का जनक" कहा जाता है।


👉आलोचना के क्षेत्र में रामचंद्र शुक्ल और हजारीप्रसाद द्विवेदी के योगदान को विशेष महत्व दिया जाता है।


👉महाकाव्य परंपरा में तुलसीदास का रामचरितमानस और सूरदास का सूरसागर अमर कृतियाँ हैं।

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👉माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) (1889–1968)


👉सिद्धांत/अवधारणा

माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि और विचारक थे, जिन्हें विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रवाद और स्वाधीनता संग्राम के काव्यात्मक योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने छायावादी और प्रगतिवादी तत्वों का समन्वय किया और अपने लेखन में समाजिक चेतना, राष्ट्रीय गौरव और नैतिक मूल्यों को प्रस्तुत किया।

👉👉मुख्य योगदान

👉राष्ट्रप्रेम और समाज सुधार के लिए साहित्य का उपयोग किया

👉छायावादी शैली के माध्यम से भावनात्मक अभिव्यक्ति को सशक्त किया

👉स्वतंत्रता संग्राम में काव्य के माध्यम से जागरूकता फैलाई

👉नैतिकता, देशभक्ति और समाजिक चेतना पर आधारित काव्य रचना

👉हिंदी कविता और आलोचना में नवीन दिशा प्रदान की


🔹 प्रमुख कृतियाँ

👉हिमतरंगिणी–काव्य संग्रह    

👉युग चारण–राष्ट्रीय चेतना पर आधारित कविता

👉साहित्य प्रवेश–आलोचना और साहित्य पर लेखन


🔹 महत्वपूर्ण तथ्य

1⃣ 1889 में मध्य प्रदेश में जन्म

2⃣ स्वतंत्रता संग्राम के समय सक्रिय रहे

3⃣ छायावादी और प्रगतिवादी आंदोलन

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