भक्ति काल के बारे में विस्तृत अध्ययन
हिंदी साहित्य का भक्ति काल: प्रश्न उत्तर प्रश्न 1: भक्ति काल की कालावधि क्या है और इसका ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य क्या है? उत्तर: हिंदी साहित्य के भक्ति काल को 14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच की अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह वह युग था जब भक्ति आंदोलन ने भारतीय समाज में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सूत्रपात किया। इस काल में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समन्वय को बढ़ावा मिला। साहित्यिक कृतियों ने धर्म और भक्ति के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी, और भक्ति कवियों ने आध्यात्मिक जागरूकता के साथ-साथ सामाजिक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। इस युग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में मध्यकालीन भारत में राजनीतिक अस्थिरता और सांप्रदायिक विभाजन की स्थितियाँ थीं, जिनका समाधान भक्ति आंदोलन ने किया। प्रश्न 2: भक्ति काल की मुख्य प्रवृत्तियाँ कौन-सी थीं, और इसे किन धाराओं में विभाजित किया गया है? उत्तर: भक्ति काल की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ दो प्रमुख धाराओं में विभाजित थीं: निर्गुण भक्ति धारा: इस धारा में ईश्वर को निराकार और निर्गुण माना गया। इसके प्रमुख कवि कबीरदास और गुरु नानक थे।...