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भक्ति काल के बारे में विस्तृत अध्ययन

  हिंदी साहित्य का भक्ति काल: प्रश्न उत्तर प्रश्न 1: भक्ति काल की कालावधि क्या है और इसका ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य क्या है? उत्तर: हिंदी साहित्य के भक्ति काल को 14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच की अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह वह युग था जब भक्ति आंदोलन ने भारतीय समाज में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सूत्रपात किया। इस काल में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समन्वय को बढ़ावा मिला। साहित्यिक कृतियों ने धर्म और भक्ति के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी, और भक्ति कवियों ने आध्यात्मिक जागरूकता के साथ-साथ सामाजिक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। इस युग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में मध्यकालीन भारत में राजनीतिक अस्थिरता और सांप्रदायिक विभाजन की स्थितियाँ थीं, जिनका समाधान भक्ति आंदोलन ने किया। प्रश्न 2: भक्ति काल की मुख्य प्रवृत्तियाँ कौन-सी थीं, और इसे किन धाराओं में विभाजित किया गया है? उत्तर: भक्ति काल की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ दो प्रमुख धाराओं में विभाजित थीं: निर्गुण भक्ति धारा: इस धारा में ईश्वर को निराकार और निर्गुण माना गया। इसके प्रमुख कवि कबीरदास और गुरु नानक थे।...

RAS की तैयारी कैसे करे

 RAS (Rajasthan Administrative Services) परीक्षा की तैयारी के लिए आपको एक व्यवस्थित और प्रभावी रणनीति की आवश्यकता होती है। नीचे दिए गए सुझाव आपकी मदद कर सकते हैं: 1. पाठ्यक्रम को समझें RAS परीक्षा का पाठ्यक्रम विस्तृत होता है। सबसे पहले, RPSC (Rajasthan Public Service Commission) द्वारा जारी आधिकारिक सिलेबस को ध्यान से पढ़ें। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) यह मुख्यतः सामान्य ज्ञान और सामान्य विज्ञान पर आधारित होता है। मुख्य परीक्षा (Mains) इसमें चार पेपर होते हैं: सामान्य अध्ययन I सामान्य अध्ययन II सामान्य अध्ययन III हिंदी और अंग्रेजी भाषा साक्षात्कार (Interview) यह आपके व्यक्तित्व, प्रशासनिक क्षमता, और सोचने की क्षमता का मूल्यांकन करता है। 2. अध्ययन सामग्री एकत्र करें एनसीईआरटी किताबें : कक्षा 6 से 12 तक की NCERT पुस्तकें इतिहास, भूगोल, और राजनीति के लिए आधार मजबूत करती हैं। राजस्थान जीके : लक्ष्मीनाथ शर्मा की पुस्तक राजस्थान सामान्य ज्ञान (राजस्थान बोर्ड की किताबें) सामान्य अध्ययन : भारत का इतिहास: स्पेक्ट्रम भूगोल: महेश बरनवाल या NCERT भारतीय राजनीत...

UGC NET HINDI की तैयारी कैसे करे

  UGC NET हिंदी की तैयारी: विस्तृत मार्गदर्शन UGC NET (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) में हिंदी विषय के लिए उत्कृष्ट प्रदर्शन एक सुव्यवस्थित अध्ययन योजना और गहन तैयारी की मांग करता है। यह लेख एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जो आपकी तैयारी को सशक्त और प्रभावी बना सकता है। 1. पाठ्यक्रम और परीक्षा संरचना की गहन समझ पेपर 1: सामान्य योग्यता शिक्षण और शोध क्षमता तार्किक तर्कशक्ति और डेटा व्याख्या सूचना प्रौद्योगिकी और समसामयिक मुद्दे पेपर 2: हिंदी साहित्य साहित्यिक इतिहास और प्रवृत्तियां प्रमुख साहित्यकारों और उनकी कृतियां आलोचनात्मक पद्धतियां और आधुनिक शोध दृष्टिकोण पाठ्यक्रम का विस्तृत अध्ययन और विभिन्न खंडों की प्राथमिकता तय करना आवश्यक है। 2. संदर्भ सामग्री और साहित्यिक ग्रंथ प्रमुख स्रोत: आचार्य रामचंद्र शुक्ल का हिंदी साहित्य का इतिहास हजारी प्रसाद द्विवेदी और नगेंद्र द्वारा लिखित आलोचनात्मक ग्रंथ काल विभाजन: भक्तिकाल: तुलसीदास, कबीर, सूरदास रीतिकाल: भिखारीदास, केशवदास आधुनिक युग: छायावादी, प्रगतिवादी, प्रयोगवादी और नई कविता गहन अध्ययन के लिए इन साहित्यिक ग्रंथों को प्राथमिकता ...

राजस्थान की अर्थव्यवस्था की विशेषता

 राजस्थान की अर्थव्यवस्था भारत के अन्य राज्यों की तरह कृषि, उद्योग, सेवाओं और पर्यटन पर आधारित है। यहां हम राजस्थान के आय-व्यय का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं। आय के प्रमुख स्रोत कृषि और पशुपालन राजस्थान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। राज्य की लगभग 62% जनसंख्या कृषि से जुड़ी है। प्रमुख फसलें: गेहूं, जौ, बाजरा, सरसों, चना, और जौ। पशुपालन भी एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है, जिसमें ऊंट, भेड़, बकरी और गाय प्रमुख हैं। खनिज संसाधन राजस्थान खनिजों का खजाना है और इसे "भारत का खनिज राज्य" भी कहा जाता है। राज्य में जस्ता, सीसा, तांबा, चूना पत्थर, संगमरमर, और ग्रेनाइट का बड़ा उत्पादन होता है। खनन से राज्य को महत्वपूर्ण राजस्व प्राप्त होता है। पर्यटन राजस्थान भारत के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, और माउंट आबू जैसे शहरों में ऐतिहासिक किले, महल और रेगिस्तानी पर्यटन आकर्षण का केंद्र हैं। विदेशी और घरेलू पर्यटकों से आय का एक बड़ा हिस्सा आता है। उद्योग और हस्तशिल्प राजस्थान में उद्योग जैसे सीमेंट, कपड़ा, रसायन, और इंजीनियरिंग साम...

राजस्थान की अर्थव्यवस्था के बारे में विशेषता

 राजस्थान की अर्थव्यवस्था में आय और व्यय का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है: आय के स्रोत: राजस्थान की अर्थव्यवस्था में आय के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं: 1. कृषि और पशुपालन: राजस्थान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। गेहूं, जौ, बाजरा, गन्ना, और सरसों जैसे फसलों की खेती होती है। पशुपालन भी महत्वपूर्ण आय का स्रोत है। ऊंट, भेड़, बकरी, और गाय के पालन से दुग्ध उत्पाद, ऊन, और चमड़ा मिलता है। 2. खनिज संसाधन: राजस्थान खनिज संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है। यहां जिप्सम, चूना पत्थर, संगमरमर, तांबा, और जस्ता का खनन किया जाता है। खनिज पदार्थों का निर्यात राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण आय स्रोत है। 3. पर्यटन: राजस्थान के ऐतिहासिक किले, महल, और सांस्कृतिक धरोहरें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, और जैसलमेर प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। पर्यटन से होटल, ट्रांसपोर्ट, और हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा मिलता है। 4. उद्योग और हस्तशिल्प: राज्य में सीमेंट, टेक्सटाइल, और रसायन उद्योग का विकास हुआ है। पारंपरिक हस्तशिल्प जैसे ब्लू पॉटरी, बंधेज, और गहनों का निर्माण आय का प्रमुख स्रोत है। 5. कर और र...

भारत की प्रमुख चोटियां व पहाड़

भारत विविध भूगोल और भौगोलिक संरचनाओं वाला देश है, जिसमें कई प्रमुख पहाड़ और पर्वत चोटियां शामिल हैं। ये चोटियां प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी रखती हैं। यहाँ भारत में पाए जाने वाले प्रमुख पहाड़ और पर्वत चोटियों का विवरण दिया गया है: हिमालय क्षेत्र की प्रमुख चोटियां माउंट कंचनजंगा (8,586 मीटर) स्थान: सिक्किम और नेपाल सीमा विशेषता: भारत की सबसे ऊंची चोटी और विश्व में तीसरे स्थान पर। नंदा देवी (7,816 मीटर) स्थान: उत्तराखंड विशेषता: यह चोटी नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के केंद्र में स्थित है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। कामेट (7,756 मीटर) स्थान: उत्तराखंड विशेषता: गढ़वाल हिमालय की दूसरी सबसे ऊंची चोटी। त्रिशूल (7,120 मीटर) स्थान: उत्तराखंड विशेषता: अपने त्रिशूल के आकार के कारण यह धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण है। शिवलिंग (6,543 मीटर) स्थान: उत्तराखंड विशेषता: यह चोटी भगवान शिव के प्रतीक के रूप में जानी जाती है। काराकोरम और लद्दाख क्षेत्र माउंट गॉडविन-ऑस्टिन (K2) (8,611 मीटर) स्थान: काराकोरम रेंज, जम्मू और कश्मीर (वर्तमान में पाकिस्तान प्रश...

भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज पदार्थ हुए उनकी विशेषता

 भारत में विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं, जिनकी महत्ता आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक है। ये खनिज पदार्थ देश के उद्योगों के विकास, ऊर्जा उत्पादन, और निर्माण कार्यों में सहायक होते हैं। प्रमुख खनिज पदार्थों और उनके खनन क्षेत्रों के बारे में जानकारी निम्नलिखित है: 1. कोयला (Coal) उपयोग : ऊर्जा उत्पादन, उद्योगों में कच्चा माल। खनन क्षेत्र : झारखंड (धनबाद, बोकारो), छत्तीसगढ़ (कोरबा), ओडिशा (झारसुगुड़ा), मध्य प्रदेश (सतना), पश्चिम बंगाल (दूरसा), उत्तर प्रदेश (Sonbhadra)। 2. लोहा अयस्क (Iron Ore) उपयोग : स्टील उद्योग, निर्माण सामग्री। खनन क्षेत्र : उड़ीसा (किरंदी), कर्नाटक (बेलगाम, कुद्रेमुख), झारखंड (सिंहभूम), छत्तीसगढ़ (दंतेवाड़ा), राजस्थान (राजसमंद)। 3. सोना (Gold) उपयोग : आभूषण, मुद्रा, उद्योग। खनन क्षेत्र : कर्नाटक (कोंध, कर्नूल), राजस्थान (बनास), उत्तर प्रदेश (पैगावर), बिहार (गया)। 4. जस्ता (Zinc) उपयोग : धातु उद्योग, रसायन उद्योग। खनन क्षेत्र : राजस्थान (राजसमंद, झुनझुनू), उत्तर प्रदेश (सोनभद्र), पंजाब (अमृतसर)। 5. कॉपर (Copper) उपयोग : विद्युत, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग। खनन क्षे...

भारत की प्रमुख नदियां व उनकी विशेषताएं

भारत, विविधता और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध देश है, और यहाँ की नदियाँ इसकी सांस्कृतिक, आर्थिक और भौगोलिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारत की प्रमुख नदियाँ हिमालय से, प्रायद्वीपीय क्षेत्रों से, और पश्चिमी घाट जैसे क्षेत्रों से निकलती हैं। ये नदियाँ सिंचाई, जल आपूर्ति, विद्युत उत्पादन और परिवहन के लिए महत्वपूर्ण हैं। नीचे भारत की प्रमुख नदियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है: 1. गंगा नदी उद्गम : गंगोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड लंबाई : लगभग 2525 किमी विशेषताएँ : गंगा भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। यह उत्तर भारत के मैदानों को उर्वर बनाती है। इसके प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना, घाघरा, कोसी, और गंडक हैं। यह पश्चिम बंगाल में गंगा-सुंदरबन डेल्टा बनाते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। 2. यमुना नदी उद्गम : यमुनोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड लंबाई : लगभग 1376 किमी विशेषताएँ : यह गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है। यमुना दिल्ली, आगरा और मथुरा जैसे महत्वपूर्ण शहरों से होकर बहती है। इसके तट पर कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल स्थित हैं। 3. ब्रह्मपुत्र नदी उद्गम : मानसरोवर झील, तिब्बत लंबाई : ल...

राजस्थान की अर्थव्यवस्था 2024

 राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य, 2024 में अपनी विविध और तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के लिए उल्लेखनीय रहा। राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, खनिज, उद्योग, पर्यटन, और नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित है। 1. कृषि और संबंधित गतिविधियाँ राजस्थान की अर्थव्यवस्था में कृषि का प्रमुख योगदान है। यहां की लगभग 60% आबादी कृषि पर निर्भर है। प्रमुख फसलें गेहूं, बाजरा, चना, सरसों और जौ हैं। 2024 में, सरकार ने सिंचाई सुविधाओं और सूखा-रोधी तकनीकों में निवेश बढ़ाया, जिससे किसानों की उत्पादकता में सुधार हुआ। 2. खनिज संसाधन राजस्थान खनिज संसाधनों से समृद्ध है और देश में मार्बल, ग्रेनाइट, जिप्सम, चूना पत्थर, और जस्ता का प्रमुख उत्पादक है। 2024 में खनन उद्योग में तकनीकी नवाचार और निजी निवेश बढ़ा, जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई। 3. औद्योगिक विकास राजस्थान में औद्योगिक क्षेत्र, विशेषकर जयपुर, जोधपुर, और भीलवाड़ा में, तेजी से विकसित हुआ। कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, और सीमेंट उद्योगों में सुधार देखा गया। राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक क्लस्टर और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने की नीतियों ने आर्थिक विकास...

राजस्थान की प्रमुख नदियां व उनकी विशेषता

 राजस्थान में कई महत्वपूर्ण नदियाँ हैं, जो इस राज्य की जल संसाधन व्यवस्था और कृषि में अहम भूमिका निभाती हैं। इनमें से कुछ नदियाँ स्थायी हैं, जबकि अन्य मौसमी हैं। यहाँ राजस्थान की प्रमुख नदियों का विवरण दिया गया है: 1. चंबल नदी उद्गम स्थल : मध्य प्रदेश के जनपाव पर्वत (विंध्याचल श्रेणी)। विशेषता : यह राजस्थान की एकमात्र ऐसी नदी है जो राज्य में स्थायी जल प्रवाह रखती है। राजस्थान में बहाव क्षेत्र : कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, और बारां। उपनदियाँ : कालीसिंध, पार्वती, बनास। 2. बनास नदी उद्गम स्थल : अरावली पर्वत के कुंभलगढ़ से। विशेषता : यह चंबल नदी की सबसे बड़ी उपनदी है। राजस्थान में बहाव क्षेत्र : उदयपुर, चित्तौड़गढ़, और भीलवाड़ा। 3. लूनी नदी उद्गम स्थल : अरावली पर्वत की नाग पहाड़ियों (अजमेर के पास)। विशेषता : इसे "राजस्थान की मरुस्थलीय नदी" कहा जाता है। यह पश्चिम राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में बहती है। राजस्थान में बहाव क्षेत्र : पाली, जोधपुर, बाड़मेर, और जैसलमेर। अंतिम गंतव्य : कच्छ का रण (जहाँ यह लुप्त हो जाती है)। 4. घग्गर नदी उद्गम स्थल : हिमाचल प्रदेश। विशेषता : इसे ...

भारत के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल

भारत में कई प्रमुख ऐतिहासिक स्थल हैं जो देश की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध स्थल हैं: उत्तर भारत: ताजमहल - आगरा, उत्तर प्रदेश कुतुब मीनार - दिल्ली रेड फोर्ट (लाल किला) - दिल्ली फतेहपुर सीकरी - आगरा, उत्तर प्रदेश वाराणसी घाट - उत्तर प्रदेश अमरनाथ गुफा - जम्मू और कश्मीर जंतर मंतर - जयपुर, राजस्थान पश्चिम भारत: छत्रपति शिवाजी टर्मिनस - मुंबई, महाराष्ट्र गेटवे ऑफ इंडिया - मुंबई, महाराष्ट्र अजंता-एलोरा गुफाएँ - औरंगाबाद, महाराष्ट्र चित्तौड़गढ़ किला - राजस्थान उदयपुर का सिटी पैलेस - राजस्थान दक्षिण भारत: हम्पी के खंडहर - कर्नाटक महाबलीपुरम के मंदिर - तमिलनाडु मैसूर पैलेस - कर्नाटक चारमीनार - हैदराबाद, तेलंगाना विवेकानंद रॉक मेमोरियल - कन्याकुमारी, तमिलनाडु पूर्वी भारत: कोणार्क सूर्य मंदिर - ओडिशा महाबोधि मंदिर - बोधगया, बिहार हावड़ा ब्रिज - कोलकाता, पश्चिम बंगाल उत्तर-पूर्व भारत: कामाख्या मंदिर - गुवाहाटी, असम सिंगफो किला - अरुणाचल प्रदेश केंद्रीय भारत: खजुराहो मंदिर - मध्य प्रदेश सांची स्तूप - मध्य प्रदेश ग्वालियर का किला - मध्य प्...

प्रतियोगिता परीक्षा की प्रभावी तैयारी कैसे करे

  प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रभावी तैयारी प्रतियोगी परीक्षाओं की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक सुव्यवस्थित और सुसंगत दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक है। नीचे दिए गए चरण, गहन अध्ययन और बौद्धिक परिपक्वता के साथ, आपकी तैयारी को एक प्रभावी दिशा प्रदान करेंगे: 1. पाठ्यक्रम और परीक्षा संरचना का विश्लेषण परीक्षा के विस्तृत पाठ्यक्रम और संरचना का गहन अध्ययन करें। प्रश्नों की प्रकृति, संख्या, अंकन प्रणाली, और समय सीमा का आकलन करें। यह आपको रणनीतिक तैयारी की रूपरेखा तैयार करने में मदद करेगा। 2. समय प्रबंधन और अनुशासन एक विस्तृत समय सारिणी तैयार करें, जिसमें सभी विषयों को उनकी जटिलता और महत्व के आधार पर समय आवंटित हो। अपनी कमजोरियों को पहचानें और उन पर अतिरिक्त ध्यान केंद्रित करें। 3. गुणवत्तापूर्ण अध्ययन सामग्री का चयन विश्वसनीय और मान्यता प्राप्त पुस्तकों का चयन करें। ऑनलाइन शैक्षिक संसाधनों, शोध पत्रों, और मॉक परीक्षाओं का उपयोग करके अपने ज्ञान को व्यापक बनाएं। 4. नियमित अभ्यास और आत्म-मूल्यांकन नियमित रूप से विषयवार प्रश्न-पत्र हल करें। पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्रों का अभ्यास क...

स्वाध्याय के तरीके( टिप्स ऑफ स्टडी)

  1.नियमित अध्ययन की आदत डालें हर दिन कुछ समय पुस्तकों, लेखों और ज्ञानवर्धक सामग्री पढ़ने में लगाएं। धार्मिक ग्रंथ, प्रेरणादायक साहित्य, और आत्म-विकास की पुस्तकें पढ़ें। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सामग्री (ई-बुक्स, ऑडियोबुक्स) का उपयोग करें। 2. लेखन का अभ्यास करें जो भी सीखें, उसे लिखें। डायरी लिखने की आदत डालें, जिससे आप अपने विचारों को स्पष्ट कर सकें। अपने जीवन के अनुभवों और रोज़मर्रा की चुनौतियों को लिखें और उनका विश्लेषण करें। 3. चिंतन और मनन करें पढ़ी गई सामग्री और अनुभवों पर सोचें। अपने कार्यों और विचारों का आत्म-मूल्यांकन करें। ध्यान और ध्यानावस्था का अभ्यास करें। 4. ज्ञानवर्धक वार्तालाप करें उन लोगों से चर्चा करें जो ज्ञान में रुचि रखते हैं। समूह चर्चा, सेमिनार और वर्कशॉप्स में भाग लें। अलग-अलग दृष्टिकोणों को समझने का प्रयास करें। 5. ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करें ज्ञान प्राप्ति के लिए ऑनलाइन कोर्स, वीडियो लेक्चर्स और पॉडकास्ट का उपयोग करें। विषयों को बेहतर समझने के लिए इंटरैक्टिव टूल्स और ऐप्स का उपयोग करें। 6. आत्मनिरीक्षण करें अपने दिन के कार्यों का विश्लेषण करें और जाने...

शरीर को स्वस्थ रखने के तरीके

  शरीर को स्वस्थ रखने के तरीके . संतुलित आहार लें हर रोज ताजे फल, सब्जियां, अनाज, और प्रोटीन युक्त भोजन खाएं। जंक फूड, अधिक तले-भुने और शक्करयुक्त पदार्थों से बचें। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं (दिन में 8-10 गिलास)। 2. नियमित व्यायाम करें रोजाना 30-45 मिनट तक योग, वॉकिंग, जॉगिंग, या अन्य शारीरिक गतिविधियां करें। स्ट्रेचिंग और वेट ट्रेनिंग भी मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखती है। 3. अच्छी नींद लें प्रतिदिन 7-8 घंटे की गहरी और नियमित नींद लें। सोने और उठने का एक नियमित समय तय करें। 4. तनाव से बचाव करें मेडिटेशन, ध्यान, और गहरी सांस लेने की तकनीकों का अभ्यास करें। अपनी रुचि के अनुसार समय बिताएं, जैसे संगीत सुनना, पढ़ना, या प्रकृति के बीच घूमना। 5. स्वच्छता का ध्यान रखें रोजाना स्नान करें और हाथों को नियमित रूप से साफ रखें। दांतों और त्वचा की देखभाल के लिए नियमित आदतें अपनाएं। 6. शराब और धूम्रपान से बचें शराब और तंबाकू जैसे नशीले पदार्थों से दूरी बनाए रखें। यह न केवल शरीर बल्कि मन को भी स्वस्थ रखता है। 7. नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप करवाएं। ब्लड प्रेशर, शुगर औ...

हिंदी साहित्य का आदिकाल

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 ... हिन्दी साहित्य का इतिहास(आदिकाल).. 👉आदिकाल का नामकरण........ विभिन्न इतिहासकारों द्वारा आदिकाल का नामकरण निम्नानुसार किया गया- 🎉इतिहासकार का नाम   - नामकरण🎉 👉हजारी प्रसाद द्विवेदी -आदिकाल  👉रामचंद्र शुक्ल -वीरगाथा काल 👉महावीर प्रसाद दिवेदी -बीजवपन काल 👉रामकुमार वर्मा- संधि काल और चारण काल 👉राहुल संकृत्यायन- सिद्ध-सामन्त काल 👉मिश्रबंधु- आरंभिक काल  गणपति चंद्र गुप्त -प्रारंभिक काल/ शुन्य काल 👉विश्वनाथ प्रसाद मिश्र- वीर काल  👉धीरेंद्र वर्मा -अपभ्रंस काल 👉चंद्रधर शर्मा गुलेरी -अपभ्रंस काल 👉ग्रियर्सन- चारण काल 👉पृथ्वीनाथ कमल 'कुलश्रेष्ठ'- अंधकार काल 👉रामशंकर शुक्ल- जयकाव्य काल 👉रामखिलावन पाण्डेय- संक्रमण काल 👉हरिश्चंद्र वर्मा- संक्रमण काल 👉मोहन अवस्थी- आधार काल 👉शम्भुनाथ सिंह- प्राचिन काल 👉वासुदेव सिंह- उद्भव काल 👉रामप्रसाद मिश्र- संक्रांति काल 👉शैलेष जैदी - आविर्भाव काल 👉हरीश- उत्तर अपभ्रस काल 👉बच्चन सिंह- अपभ्रंस काल: जातिय साहित्य का उदय 👉श्यामसुंदर दास- वीरकाल/अपभ्रंस का #हिन्दी_का_सर्वप्रथम_कवि $विभिन्न इतिहासकारों के अनुस...

हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

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 हिन्दी साहित्य प्रश्नोत्तरी 🎁🎁🎁🎁🎁🎁🎁 📕 वह रचनाकार जिसने अपना लेखन गद्य तक ही सीमित रखा - प्रेमचन्द 📕 अपभ्रंश को 'पुरानी हिन्दी' सर्वप्रथम कहा है - चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने 📕 'हिन्दी शब्द सागर' सम्पादित ग्रन्थ है - श्यामसुन्दर दास का 📕 'हिन्दी साहित्य की भूमिका' पुस्तक के लेखक हैं - हजारी प्रसाद द्विवेदी 📕 'इस्त्वार द ला लितरेत्युर ऐन्दुई ए ऐंदुस्तानी' की रचना की - गार्सा द तासी ने 📕 आंग्ल भाषा में लिखा गया हिन्दी साहित्य का इतिहास 'स्केच ऑफ हिन्दी लिट्रेचर' के लेखक हैं - पादरी एडविन ग्रीब्स 📕 हिन्दी साहित्य के इतिहास को व्यवस्थित रूप देने का श्रेय है - आचार्य रामचंद्र शुक्ल को 📕 भक्तिकाल का नाम 'पूर्वमध्यकाल' दिया है - आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 📕 मिश्र बन्धुओं ने 'परिवर्तन काल' की समय सीमा निर्धारित की है - संवत् 1890 वि. - संवत् 1924 वि. 📕 'हिन्दी कोविद रत्नमाला' के लेखक हैं - श्यामसुन्दर दास 📕 'ए हिस्ट्री ऑफ हिन्दी लिटरेचर' के लेखक हैं - फ्रैंक ई.के. 📕 आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ...

हिंदी के लेखकों का जीवन परिचय

  📝प्रमुख लेखकों का जीवन-परिचय 📝मैथिलीशरण गुप्त 1886 से 1964 📝अयोध्या सिंह उपाध्याय 1865 से 1946 📝रामचरित उपाध्याय 1872-1938 📝 लोचन प्रसाद पांडे 1886-1959 📝 सियारामशरण गुप्त 1895-1963 📝राय देवी प्रसाद "पूर्ण" 1868-1915 📝नाथूराम शर्मा "शंकर" 1859-1935 📝गया प्रसाद शुक्ल "स्नेही* 1883-1972 📝लाला भगवानदीन 1866-1930 📝 जगन्नाथ दास "रत्नाकर"1866-1932  📝सत्यनारायण "कवि रत्न"1880-1918 📝महावीर प्रसाद द्विवेदी 1864-1938 📝श्याम सुंदर दास 1875-1945 📝श्रीधर पाठक 1859-1928 📝राम नरेश त्रिपाठी 1889-1963 📝बालमुकुंद गुप्त 1865-1907 📝माधव प्रसाद गुप्त 1871-1907 📝गोविंद नारायण मिश्र 1859-1926 📝चंद्रधर शर्मा गुलेरी 1883-1920 📝सरदार पूर्ण सिंह 1881-1931 📝डॉक्टर संपूर्णानंद 1890-1969 📝राहुल सांकृत्यायन 1893-1963 📝राय कृष्णदास 1892-1980 📝जयशंकर प्रसाद 1889-1937 📝सूर्यकांत त्रिपाठी निराला 1899-1961 📝सुमित्रानंदन पंत 1900-1977 📝महादेवी वर्मा 1907-1987 📝लक्ष्मी नारायण मिश्र 1903-1987 📝उदय शंकर भट्ट 1898-1966 📝प्रेमचंद 1880-1936 📝जैनेंद्र...

हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण प्रश्न

 1.उलटवासियों का पूर्व रूप हमें किन की भाषा में मिलता है ans- सिद्धों के 2.गेय पदों की परंपरा किसने प्रचलित की थी-- सिद्धों ने 3.आचार्य शुक्ल ने विद्यापति को किस प्रकार का कवि माना है--शुद्ध शृंगारी 4.रास परंपरा की प्रथम रचना-- भरतेश्वर बाहुबली रास 5.हिंदी रास परंपरा की प्रथम ऐतिहासिक रचना है-- पंचपांडव चरितरास 6.भरतेश्वर बाहुबली रास किस प्रकार का काव्य ग्रंथ है--खंड काव्य 7.’सुमति गुणी’ कृति के रचनाकार है-- नेमिनाथ रास 8.पृथ्वीराज विजय के रचनाकार है-- जयानक 9.सर्वाधिक प्रामाणिक पृथ्वीराज रासो की प्रतिलिपि के संपादक है--माता प्रसाद गुप्त 10.छप्पय छंद किस रासोकार का प्रिय छंद है---- चंदबरदाई 11.विद्यापति ने किन भाषाओं में रचना की----मैथिली, संस्कृत और अवहट्ठ 12.आदिकाल को संधिकाल- चारण काल नाम किसने दिया---@ रामकुमार वर्मा 13.वीरगाथा काल में जैन,नाथ और सिद्धों की रचनाओं को साहित्य के अंतर्गत नहीं माना--#आचार्य शुक्ल ने 14.’प्राकृत पिंगल सूत्र’ के पदों को किसने संकलित किया-- #विद्याधर ने 15.पुरातन प्रबंध संग्रह के रचयिता है--#मुनि जिन विजय 16.विधेयवादी पद्धति के जनक थे--#तेन 17.’हिंदी...

आदिकालीन साहित्य

 *रास (जैन) साहित्य की प्रमुख रचनाएं*- 👉 *रचना का नाम- रचनाकार का नाम* 👉भरतेश्वर बाहुबली रास- शालिभद्र सूरि (1184 ई.) 👉पांच पांडव चरित रास- शालिभद्र सूरि (14 वीं शताब्दी) 👉बुद्धि रास - शालिभद्र सूरि 👉चंदनबाला रास- कवि आसगु (1200 ई. जालौर) 👉जीव दया रास- कवि आसगु 👉स्थुलिभद्र रास- जिन धर्म सूरि (1209 ई.) 👉रेवंतगिरि रास- विजय सेन सूरि (1231 ई.) 👉नेमिनाथ रास- सुमित गुणि (1231 ई.) 👉गौतम स्वामी रास- उदयवंत/विजयभद्र 👉उपदेश रसायन रास- जिन दत्त सूरि 👉कच्छुलि रास- प्रज्ञा तिलक जिन पद्म सूरि रास- सारमूर्ति 👉करकंड चरित रास- कनकामर मुनि 👉आबूरास-पल्हण 👉गय सुकुमाल रास- देल्हण/देवेन्द्र सूरि 👉समरा रास-अम्बदेव सूरि 👉अमरारास- अभय तिलकमणि 👉भरतेश्वर बाहुबलिघोर रास- वज्रसेन सूरि 👉मुंजरास- अज्ञात 👉नेमिनाथ चउपई- विनयचन्द्र सूरि(1200 ई.) 👉नेमिनाथ चरिउ - हरिभद्र सूरि (1159 ई.) 👉नेमिनाथ फागु - राजशेखर सूरि (1348 ई.) 👉कान्हड़-दे-प्रबंध- पद्मनाभ 👉हरिचंद पुराण -जाखू मणियार (1396 ई.) 👉पास चरिउ(पार्श्व पुराण)- पदम कीर्ति 👉सुंदसण चरिउ (सुदर्शन पुराण)- नयनंदी 👉प्रबंध चिंतामणि - जैनाचार्य ...

साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024

 साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2024 हिन्दी – गौरव पाण्डेय (कृति –स्मृतियों के बीच घिरी है पृथ्वी) राजस्थानी–सोनाली सुथार (कृति – सुध सोधूं जग आंगण,कविता संग्रह)

हिंदी साहित्य प्रश्नोत्तरी

 1. संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल की गई चार नई भाषाएँ हैं? → संथाली, मैथिली,बोडो और डोगरी 2. भारतीय भाषाओं को कितने प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है? → 4 3. भारत में सबसे अधिक बोला जाने वाला भाषायी समूह है? → इण्डो-आर्यन 4. भारत में सबसे कम बोला जाने वाला भाषायी समूह है? → चीनी-तिब्बती 5. ऑस्ट्रिक भाषा समूह की भाषाओं को बोलने वालों को कहा जाता है?→ किरात 6. 'जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सारु। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥' इस दोहे के रचनाकार का नाम है?→ देवसेन 7. चीनी-तिब्बती भाषा समूह की भाषाओं के बोलने वालों को कहा जाता है?→ निषाद 8. अपभ्रंश के योग से राजसाषानी भाषा का जो साहित्यिक रूप बना, उसे कहा जाता है?→ डिंगल भाषा 9. 'एक नार पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है?→ ब्रजभाषा 10. अमीर ख़ुसरो ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है?→ खड़ीबोली 11. देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था?→ 14 सितम्बर, 1949 12. 'रानी केतकी की कहानी' की भाषा को कहा जाता है?→ खड़ीबोली 13...

नई कविता __ महत्वपूर्ण आंदोलन

 नई कविता __ महत्वपूर्ण आंदोलन 1.नयी कविता-"अज्ञेय" 2.नवगीत-"राजेन्द्र प्रसाद सिंह" (डॉ शम्भूनाथ सिंह) 3.साठोत्तरी कविता -"जगदीश गुप्त" 4.ताजी कविता-"लक्ष्मीकांत वर्मा" 5.तट की कविता-"राम बचन राय" 6.अगीत-"रंगनाथ मिश्र" 7.बीट गीत -"राजकमल चौधरी" 8.अस्वीकृत कविता-"श्रीराम शुक्ल" 9.सहज कविता-"रविन्द्र भ्रमर" 10.सनातणी सूर्योदय कविता-'विरेन्द्र कुमार जैन" 11.कैप्सूल वाद-"डॉ ओमकार नाथ त्रिपाठी" 12. अकविता-"श्याम परमार" 13.आज की कविता-"हरीश मैदानी" 14.साम्प्रतिक कविता-"श्याम नारायण" 15.युयुत्शावादीकविता-"शलभ श्री राम सिंह" 16.निर्दिशांयामी कविता- "डॉ सत्यदेव राजहंस" 17.वाम/प्रतिबद्ध कविता-"डॉ परमानंद श्रीवास्तव' 18.नवप्रगतिशील-"नवलकिशोर"

धोरा वाळा देश जाग रे

 मनुज देपावत धोरां आळा देस जाग रे, ऊंठां आळा देस जाग। छाती पर पैणा पड़या नाग रे, धोरां आळा देस जाग।। धोरां आळा देस जाग रे... उठ खोल उनींदी आंखड़ल्यां, नैणां री मीठी नींद तोड़ रे रात नहीं अब दिन ऊग्यो, सपनां रो कूड़ो मोह छोड़ थारी आंख्यां में नाच रह्या, जंजाळ सुहाणी रातां रा तूं कोट बणावै उण जूनोड़ै, जुग री बोदी बातां रा रे बीत गयो सो गयो बीत, तूं उणरी कूड़ी आस त्याग। छाती पर पैणा... खागां रै लाग्यो आज काट, खूंटी पर टंगिया धनुष-तीर रे लोग मरै भूखां मरता, फोगां में रुळता फिरै वीर रे उठो किसानां-मजदूरां, थे ऊंठां कसल्यो आज जीण ईं नफाखोर अन्याय नैं, करदयो कोडी रो तीन-तीन फण किचर काळियै सांपां रो, आज मिटा दे जहर-झाग। छाती पर पैणा... रे देख मिनख मुरझाय रह्यो, मरणै सूं मुसकल है जीणो अै खड़ी हवेल्यां हँसै आज, पण झूंपड़ल्यां रो दुख दूणो अै धनआळा थारी काया रा, भक्षक बणता जावै है रे जाग खेत रा रखवाळा, आ बाड़ खेत नैं खावै है अै जका उजाड़ै झूंपड़ल्यां, उण महलां रै लगा आग। छाती पर पैणा... अै इन्कलाब रा अंगारा, सिलगावै दिल री दुखी हाय पण छांटां छिड़कां नहीं बुझैली, डूंगर लागी आज लाय अब दिन आवैला ...

हिन्दी साहित्य प्रश्नोत्तरी

 ... हिन्दी साहित्य का इतिहास(आदिकाल).. 👉आदिकाल का नामकरण........ विभिन्न इतिहासकारों द्वारा आदिकाल का नामकरण निम्नानुसार किया गया- 🎉इतिहासकार का नाम   - नामकरण🎉 👉हजारी प्रसाद द्विवेदी -आदिकाल  👉रामचंद्र शुक्ल -वीरगाथा काल 👉महावीर प्रसाद दिवेदी -बीजवपन काल 👉रामकुमार वर्मा- संधि काल और चारण काल 👉राहुल संकृत्यायन- सिद्ध-सामन्त काल 👉मिश्रबंधु- आरंभिक काल  गणपति चंद्र गुप्त -प्रारंभिक काल/ शुन्य काल 👉विश्वनाथ प्रसाद मिश्र- वीर काल  👉धीरेंद्र वर्मा -अपभ्रंस काल 👉चंद्रधर शर्मा गुलेरी -अपभ्रंस काल 👉ग्रियर्सन- चारण काल 👉पृथ्वीनाथ कमल 'कुलश्रेष्ठ'- अंधकार काल 👉रामशंकर शुक्ल- जयकाव्य काल 👉रामखिलावन पाण्डेय- संक्रमण काल 👉हरिश्चंद्र वर्मा- संक्रमण काल 👉मोहन अवस्थी- आधार काल 👉शम्भुनाथ सिंह- प्राचिन काल 👉वासुदेव सिंह- उद्भव काल 👉रामप्रसाद मिश्र- संक्रांति काल 👉शैलेष जैदी - आविर्भाव काल 👉हरीश- उत्तर अपभ्रस काल 👉बच्चन सिंह- अपभ्रंस काल: जातिय साहित्य का उदय 👉श्यामसुंदर दास- वीरकाल/अपभ्रंस का #हिन्दी_का_सर्वप्रथम_कवि $विभिन्न इतिहासकारों के अनुसार ह...

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सूरदास का साहित्य एवं जीवन परिचय

 सूरदास(1478-1583) 1. सूरदास भक्ति काल के कृष्ण काव्य परंपरा के प्रमुख के कवि थे 2. चौरासी वैष्णव की वार्ता अनुसार सूरदास का जन्म दिल्ली के निकट सीही गांव में हुआ। 3. सूरदास के गुरु का नाम वल्लभाचार्य था। 4. सूरदास जन्मांध थे या बाद में अंधे हुए इस विषय पर मतेैक्य नहीं है। 5.(सूरदास के निधन पर )गोसाई विट्ठल दास ने कहा- पुष्टीमार्ग को जहाज जात है सो जाको कछु लेनौ होय सो लेउ। 6. सूरदास की प्रमुख तीन रचनाएं हैं- सूरसागर,सूर- सारावली और साहित्य लहरी। 7.साहित्य लहरी के एक पद के अनुसार सूरदास ने खुद को चंद बरदई के वंशज माने हैं। 8. सूरदास पहले विनय और दास्य भाव के पद लिखा करते थे किंतु वल्लभाचार्य की भेंट के बाद उन्होंने वात्सल्य और श्रृंगार के पद लिखे। 9. साहित्य लहरी में सूरदास के दृष्ट कूट के पद संकलित हैं। 10. सूरदास ब्रजभाषा के पहले सशक्त कवि माने जाते हैं। 11.सूरदास के श्रृंगारी व दृष्टकूट  पदों की रचना विद्यापति की पद्धति के आधार पर हुई मानी जाती हैं। 12. सूरदास वात्सल्य और श्रंगार के क्षेत्र में उच्चतम माने जाते हैं इसलिए उनको वात्सल्य और श्रंगार रस का सम्राट कहा जाता है। 13...

तुलसीदास जी (साहित्य व जीवन परिचय)

 तुलसीदास (1532 -1623) 1.तुलसीदास का जन्म सन 1532 ई.मे राजापुर गांव (बांदा जिला,उत्तर प्रदेश) में हुआ। 2.तुलसीदास की मृत्यु सन 1623 ईसवी काशी में हुई। 3.तुलसीदास के गुरु नरहरिदास था। 3. तुलसीदास ने सन 1574 ईसवी अयोध्या में 'रामचरित्- मानस की रचना प्रारंभ की जो 2 वर्ष 7 माह से पूर्ण हुई। 4. तुलसीदास लोकमंगल की साधना के कवि माने जाते हैं। 5.राम चरित् मानस हिंदी का श्रेष्ठ महाकाव्य माना जाता हैं।6.रामचरितमानस की रचना दोहा-चौपाई शैली में हुई(भाषा अवधि है) 7.विनय पत्रिका में विनय और आत्मनिवेदन के पद हैं। 8.नाभादास ने तुलसी दास को 'कलिकाल का वाल्मीकि' कहां हैं। 9. ग्रियर्सन ने-तुलसीदास को बुद्धदेव के बाद सबसे बड़ा लोकनायक बताया हैं। 10. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा-भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधि कवि तुलसी ही हैं। 11. विसेंट स्मिथ ने कहा- तुलसीदास मुगल काल का सबसे बड़ा आदमी था। 12.आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा-भारतवर्ष का लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय करने की अपार धैर्य लेकर आया हो। 13.रहीम के आग्रह पर तुलसीदास ने 'बरवै-रामायण' की रचना की। 14.तुलसीदास ने हनुमान बाहु...

मीरां का जीवन परिचय

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मीरां(1498-1546ई.) 01. मीरा का जन्म सन 1498.ई कुड़की गांव (मारवाड़ रियासत)राजस्थान में हुआ था। 2. संत रैदास मीरां के गुरु माने जाते हैं। 3. मीरा सगुण धारा की महत्वपूर्ण भक्त कवियत्री थी। 4 मीरा का विवाह सांगा के जेष्ठ पुत्र भोजराज के साथ हुआ। 5. मीरा का अंतिम समय द्वारका में बीता और वही रणछोड़ दास जी की मूर्ति में समाहित हो गई। 6.मीरा की भक्ति माधुर्योपासना के रस में समाहित हैं। 7. मीरा भक्ति काल में स्त्री मुक्ति की आवाज बनकर उभरी। 8. मीराबाई की पदावली का संपादन आचार्य परशुराम चतुर्वेदी ने किया। 9. मीरा मुक्तावली का संपादन नरोत्तम दास स्वामी ने किया। 10. सुमित्रानंदन पंत ने मीरा के संबंध में कहा है कि-भक्ति के तपोवन की शकुंतला तथा राजस्थान के मरुस्थल की मंदाकिनी हैं। 11. मीरां के बचपन का नाम पेमल था। 12. मीरां की कविता का प्रमुख रस विप्रलंभ श्रृंगार हैं। 13. बसो मेरे नैनन में नंदलाल-पंक्ती मीराबाई की हैं। 🖋🖋🌹🌿शंकरनाथ,राजस्थान🌿🌹

हिंदी कविता का महत्व ,स्वरूप,अवयव

   हिंदी कविता का  स्वरूप कविता हिंदी साहित्य की सबसे प्राचीन विद्या है विश्व के अधिकांश ग्रंथ की रचना कविता में ही हुई है कविता को परिभाषित करें तथा इसके स्वरूप को पहचानने का प्रयास प्राचीन काल से ही होता रहा है प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में कहा गया है की शब्द और अर्थ के सुंदर सामंजस्य को ही काव्य कहा जाता है इसी परिभाषा को आधार मानकर प्राचीन काव्य शास्त्रियों ने काव्य की आत्मा को ढूंढने का प्रयास किया था किसी ने रस को कविता की आत्मा कहा तो किसी ने ध्वनि को तो किसी ने रीति को तो किसी ने वक्रोक्ति को और किसी ने अलंकार को अलग-अलग शास्त्रियों ने इनके अलग-अलग परिभाषा दी है किंतु बाद में हिंदी साहित्य में कविता की परिभाषा दूसरे ढंग से की जाने लगी प्राचीन काल में अलंकार का बहुत महत्व था परंतु आधुनिक काल में अलंकार हीन कविता की परंपरा चल पड़ी है संघ के भी बंद नहीं रहेगी चंद हीन कविताओं की रचना होने लगी है कविता शब्द के गूढ़ अर्थ से अलग होकर सामान्य शब्दों का प्रयोग होने लगा है आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कविता की परिभाषा तथा स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा है की हिदेकी मुक्ति की साधन...

रस परिभाषा व भेद उदाहरण सहित

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  रस क्या है   रस का सामान्य अर्थ है - आनंद मानव मानव प्राणी अपने जीवन में आनंद प्राप्त करना चाहता है,आनंद प्राप्ति करना ही उनका उद्देश्य है इसी प्रकार काव्य में भी आनंद होता है काव्य का रसास्वादन करते समय जो आनंद की अनुभूति होती है या हमारे चित्र में एक आनंद की प्राप्ति होती है उसी ही रस कहते हैं। रस की परिभाषा:- काव्य को पढ़ते समय ,सुनते समय हमारे चित्र में जो आनंद की अनुभूति होती हैं उसे ही रस कहते हैं। रस के भेद या प्रकार:- रस के मूल रूप से नौ(9) भेद माने गए हैं दो भेद बाद में जोड़े गए। 1 श्रंगार ,2.हास्य, 3.करुण,4.वीर,5.रौद्र  6.भयानक,7.वीभत्स,8अद्भुत,9शान्त, बाद मे जोड़े गये- वत्सल,भक्ति 1 श्रृंगार-रस:- श्रृंगार रस का विषय प्रेम होता है पुरुष के प्रति स्त्री के हृदय में या स्त्री के प्रति पुरुष के हृदय में जो प्रेम जागृत होता है उसी की व्यंजना श्रृंगार काव्य में होती हैं जैसे कृष्ण और राधा का प्रेम श्रृंगार के दो भेद होते हैं  संयोग वियोग